आचार्य शंकर ने मठाधीशों की व्यवस्था के संबंध में एक अनुपम ग्रंथ की रचना की है, जिसका नाम ‘मठाम्नाय’ है। इसके अनुसार अद्वैत मत के सात आम्नाय हैं। माना जाता है कि इसी आम्नाय शब्द का अप्रभंश है अखाड़ा। शंकराचार्य की सेना कहलाने वाले इन अखाड़ों की स्थापना सत्य सनातन परंपरा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार, शास्त्र के साथ शस्त्र की शिक्षा, आध्यात्मिक चिंतन-मनन के साथ धर्म की रक्षा, संतों की सेवा के साथ मानव म़ात्र का कल्याण करने के लिए की गई थी।
देश के चार प्रमुख पावन तीर्थों प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में लगने वाले कुंभ मेले में साधु-संतों के कुल 13 अखाड़ें शामिल होते हैं :
सन्यासियों के सात अखाडे
1- जूना अखाड़ा
2- अटल अखाड़ा
3- आनंद अखाड़ा
4- आह्रवान अखाड़ा
5- निरंजनी अखाड़ा
6- महानिर्वार्णी अखाड़ा
7- पंच अग्नि अखाड़ा
बैरागियों के तीन अखाड़े
8- दिगंबर अखाड़ा
9- निर्मोही अखाड़ा
10- निर्वाणी अखाड़ा
उदासीन परंपरा के दो अखाड़े
11- पंचायती बडा उदासीन अखाड़ा
12- पंचायती नया उदासीन अखाड़ा
निर्मल
13 – निर्मल अखाड़ा
इन सभी अखाडें के महंत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर समेत तमाम साधु-संत कुंभ के प्रमुख पर्वों पर स्नान करते हैं। सभी अखाड़ों के अपने अलग-अलग ध्वज, देवता होते हैं। इनमें तमाम तरह के कार्यों का प्रबंध आठ वरिष्ठ सन्यासियों की समिति देखती है। जिसमें चार श्री महंत, चार महंत शामिल होते हैं। प्रत्येक अखाड़े का मुखिया आचार्य महामंडलेश्वर होता है। प्रत्येक अखाड़ों की अपनी एक अलग ड्रेस होती है।
- श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, श्री पंच अटल अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, तपोनिधि श्री आनंद अखाड़ा पंचायती, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा और श्री पंचदशनाम पंचाग्नि अखाड़ा के साधू-संत भगवा रंग के वस्त्र धारण करते हैं।
- श्री दिगंबर अनी अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा नया, उदासीन और श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा के साधू-संत सफेद रंग के वस्त्र धारण करते हैं।
- श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन और श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा के साधू-संत काले रंग के वस्त्र धारण करते हैं।