हरि की नगरी हरिद्वार में इन दिनों आस्था का महामेला कुंभ का आयोजन किया जा रहा है। कुंभ मेले में सन्यासियों के अखाड़ों की धर्म ध्वजा फहरा चुकी हैं और उनसे जुड़े साधु-संतों और कुंभ का आकर्षण माने जाने वाले नागा साधुओं ने अपनी धूनी रमा ली है। संतों के डेरे में आए दिन कोई न कोई धार्मिक आयोजन संपन्न हो रहा है। मसलन कहीं किसी अखाड़े में किसी संत का पट्टाभिषेक हो रहा है तो कहीं हवन, पूजन और कीर्तन हो रहा है। हर-हर महादेव के नारों से गूंजती हरि की नगरी में अब लोगों को बस संतों के शाही स्नान का इंतजार है।
अखाड़ों से जुड़े साधु संत जब शाही स्नान के लिए निकलते हैं तो उनकी पेश्वाई देखने लायक होती है। आचार्य महामण्डलेश्वर, महामंडलेश्वर समेत हजारों-हजार साधुओं का हुजूम जब सड़कों पर निकलता है तो लोग उनकी तलवारबाजी और लाठी चलाने आदि की कला को देखकर दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। आइए संतों की पेशवाई के विविध रंग देखते हैं —
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