Akshaya Tritiya 2021 : लक्ष्मी के दास नही, लक्ष्मीवान बनिए, जानें अक्षय तृतीया का महाउपाय
इस उपाय को करते ही बरसने लगती है माता लक्ष्मी की कृपा, धन-धान्य से भर जाता है घर

सनातन परंपरा से जुड़ी अक्षय तृतीया की पावन तिथि का अत्यंत महत्व है। अक्षय का अर्थ होता है कभी भी क्षय न होने वाला। सभी कामनाओं को पूरा करने वाला यह व्रत वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है। इस व्रत को करने वाली स्त्री अखण्ड सौभाग्यवती हो जाती है।
माता लक्ष्मी को समर्पित इस पावन तिथि को अत्यंत ही पुण्यदायक माना गया है। इस दिन किसी भी जातक द्वारा की जाने वाली साधना-आराधना, जप-तप, दान आदि का कई गुणा फल मिलता है। मान्यता है कि स्वंय कुबेर ने अक्षय तृतीया के दिन साधना करके मां लक्ष्मी को अनुकूल बनाया था। इसी दिन महर्षि विश्वामित्र ने कठिन साधना करके माता लक्ष्मी को पूर्णता के साथ प्रकट किया था। यही कारण था कि जीवन पर्यंत उनके आश्रम में किसी चीज की कोई कमी नहीं हुई।
मान्यता है कि इस दिन भले ही किसी जातक को पूजन की सही विधि न मालूम हो, उसे सही से मंत्र का पाठ न करने आता हो लेकिन यदि वह सच्चे मन से साधना-आराधना करता है तो उस पर देवी कृपा अवश्य बरसती है और उसे अपने जीवन में सफलता अवश्य मिलती है। ऐसे में शायद ही कोई अभागा हो जो इस पुण्य तिथि वाले दिन की जाने वाले साधना के पावन अवसर को गवांएगा। तो आइए जानते हैं माता लक्ष्मी को मनाने का महाउपाय जिसे पूरी श्रद्धा, विश्वास और विधि-विधान से करते ही मां लक्ष्मी आपके घर में खिंची चली आएंगी —
1. एकाक्षी नारियल —
मां लक्ष्मी की साधना में प्रयोग लाए जाने वाले एकाक्षी नारियल के बारे में मान्यता है कि जिस घर में मंत्रसिद्ध, प्राणप्रतिष्ठित यह पवित्र नारियल रहता है, उसके घर से मां लक्ष्मी कभी भूलकर भी नहीं जाती हैं। ऐसे में माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन इस पवित्र नारियल को विधि विधान से पूजा करके अपने पूजाघर में स्थापित करें और प्रतिदिन पूजा करें।
2. कनकधारा यंत्र —
माता लक्ष्मी की कृपा पाने का यह अचूक उपाय है। विधि-विधान से पूजित यह दिव्य यंत्र साधक की दरिद्रता को दूर कर उसे धन-धान्य से हमेशा भरा रखता है। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो के सामने कनकधारा यंत्र को विधि-विधान से पूजित एवं स्थापित करके कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
3. श्री यंत्र —
मां लक्ष्मी की कृपा दिलाने वाला यह अत्यंत ही चमत्कारी यंत्र है। जिस घर में इस सिद्ध यंत्र की विधि-विधान से प्रतिदिन पूजा होती है, उसके यहां हमेशा माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं।
4. दक्षिणावर्ती शंख —
शंख को माता लक्ष्मी का भाई माना जाता है, क्योंकि इसका प्रादुर्भाव उसी समुद्र से हुआ है, जहां से माता लक्ष्मी का प्रादुर्भाव माना जाता है। मान्यता है कि जिस घर में दक्षिणवर्ती शंख रहता है, उसके यहां कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।
5. कुबेर कलश एवं श्रीफल
कुबेर को सुख-समृद्धि एवं संपदा के प्रतीक माना जाता है क्योंकि कुबेर में ही लक्ष्मी का वास है। ऐसे में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन अपने घर के पूजन स्थल एवं प्रवेश द्वार पर कुबेर कलश एवं श्रीफल स्थापित करें। इस प्रयोग से आपके घर में माता लक्ष्मी का हमेशा वास बना रहेगा।
6. चरण पादुका
मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन स्नान-ध्यान करके अपने पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की चरण पादुका को विधि-विधान से स्थापित करें।
7. लक्ष्मी का मंत्र
ॐ श्रीं श्रियै नम:।
ह्री ऐश्वर्य श्रीं धन धान्याधिपत्यै ऐं पूर्णत्व लक्ष्मी सिद्धयै नम:।।
अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी पर कमल का पुष्प अर्पित करें और उसके बाद घी का दिया जलाएं और लाल आसन पर बैठकर कमलगट्टे की माला से इन दो में से किसी एक मंत्र का जप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
भगवान विष्णु की करें विशेष पूजा
माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करना बिल्कुल न भूलें। इस दिन लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। यदि प्रतिमा की जगह पर आपके यहां उनका चित्र है तो उस पर जल छिड़ककर स्नान कराएं और उसके बाद गंध, चन्दन, अक्षत, पुष्प, धुप, दीप नैवैद्य आदि से पूजा करनी चाहिए। यदि संभव हो तो पूजा में कमल का पुष्प जरूर चढ़ाएं।
इस दान से होगा कल्याण
अक्षय तृतीया के दिन किया गया तप, साधना एवं दान का क्षय नहीं होता है। चूंकि यह तिथि वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ का दिन भी है, इसलिए अक्षय तृतीया यानि अखातीज के दिन जल से भरा घड़ा, कुल्हड़, पंखा, छाता, सत्तू, खरबूजा, ककड़ी आदि का दान अत्यंत शुभ माना गया है।
भूल से भी न हो पाप कर्म
चूंकि इस दिन आपके द्वारा किये गये कार्य का फल का क्षय नहीं होता है, ऐसे में भूलकर भी कोई पाप कार्य, दुराचार्य आदि न करें।
इसलिए भी महत्वपूर्ण है अक्षय तृतीया…
— अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान बद्रीनारायण के कपाट खुलते हैं।
— अक्षय तृतीया के दिन ही साल में एक बार अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी के चरण दर्शन होते हैं।
— अक्षय तृतीया के दिन ही महाप्रभु श्री जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए नये रथों का निर्माण प्रारंभ होगा। इसी दिन उनकी विजय प्रतिमा श्री मदनमोहन की 21 दिवसीय चंदन यात्रा का शुभारंभ भी होगा।
— अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम, नर-नारायण और हृयग्रीव का अवसतार हुआ था।
— स्वयंसिद्ध मुहूर्त होने के कारण अक्षय तृतीया के दिन ही सबसे अधिक विवाह और शुभ कार्य होते हैं।
— अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान का अत्यधिक महत्व है।