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Big Predictions for Corona : कोरोना पर सबसे बड़ी भविष्यवाणी, जानें कब मिलेगी इस महामारी से मुक्ति?

अंकों का गणित बताता है इस महीने खत्म हो जाएगी कोरोना की दूसरी लहर

कोरोना महामारी को लेकर जब देश-दुनिया के लोग परेशान हैं और उसे लेकर नित-नई आशंकाएं हमारे, आपके और चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों के मन उठ रही है, उस दौर में आज हम आपके लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आए हैं। इस उम्मीद की किरण को दिखाया है जाने-माने अंक ज्योतिषी डॉ. कुमार गणेश ने, ​जिनकी तमाम भविष्यवाणियां सच साबित हुई हैं। हाल ही में पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों से जुड़ी उनकी भविष्यवाणियां अक्षरश: सही साबित हुई है। अहम बात यह कि उन्होंने हमेशा की तरह इस संबंध में बहुत पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। तो आइए जाने-माने अंक ज्योतिषी डॉ. कुमार के अंकों के गणित से जानने-समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर कब, क्यों और कैसे हमें इस महामारी से राहत या फिर निजात मिलने की उम्मीद जगेगी…

दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है। इसने जिस तरह की विभीषिका मचायी है, वह समूची मानव-जाति के लिए अत्यन्त कष्टप्रद है। दरअसल, कोरोना का संबंध अंक 3, अंक 5 और अंक 9 से है। अंक 3 और अंक 5 मिलकर प्रसार करवाते हैं। अंक 3 वायु का है और अंक 5 प्रसार की बात करता है। वर्ष 2019 में चलित में 21 अक्टूबर से 20 नवंबर तक जब अंक 9 था और 21 नवंबर से 20 दिसंबर 2019 तक अंक 3 था; तब यह कोरोना वायरस उत्पन्न हुआ। वहाँ वर्षांक भी 3 था। इसके इस दूसरे रूप में भी अंक 3 व अंक 5 की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।

एक विशेष ध्यान दिये जाने वाली बात यह है कि वर्ष 2020 में जो कोरोना की लहर आयी, उसमें अधिकतर लोग बुख़ार या खांसी-जुकाम से पीड़ित होकर कोरोना का ग्रास बनते थे, जबकि कोरोना की इस दूसरी लहर में श्वास संबंधी समस्या सबसे बड़ी समस्या है। जिस मरीज को देखो, वही ऑक्सीजन की कमी की समस्या से जूझ रहा है। अधिकतर मरीजों के प्राण भी इसी कारण से जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कोरोना की पहली लहर की प्रचंडता का वर्ष था 2020। इस वर्ष का मूलांक बनता था 4, जो कि रक्त का अंक है।

किस अंक से कोरोना का बड़ा कनेक्शन

कोरोना की कोई भी लहर हो; भले ही वह पहली थी अथवा अभी दूसरी हो अथवा आगे भी कोई जो आएगी; इस संदर्भ में अंक 7 अर्थात् केतु की विशिष्ट भूमिका है। अंक 7 वर्ष 2020 के स्वामी अंक 4 के साथ मिलकर रक्त संबंधी समस्या उत्पन्न करता था अंक 4 रक्त का है और अंक 7 पानी का। इन दोनों की युति से रक्त पतला होता है। इस कारण अंक 4 के स्वामित्व वाले वर्ष 2020 में कोरोना रक्त से संबंधित स्वरूप में अधिक भयानक था। तब रक्त से संबंधित समस्याओं के रूप में ही बुखार आता था और मरीज कोरोना की जकड़ और पकड़ में आ जाता था।

वर्ष 2021 का स्वामी अंक 5 है। यह बुध का है। यह अंक श्वसन तंत्र और फेफड़ों का प्रतिनिधि है। अंक 3 के साथ अंक 5 का यह योग श्वसन तंत्र अथवा फेफड़ों से संबंधित समस्या के विस्तार और प्रसार को सूचित करता है। इस कारण वर्ष 2021 में कोरोना वायरस के मरीजों की समस्या श्वसन तंत्र और फेफड़ों से संबंधित है। यहाँ यह बात विशेष ध्यान दिये जाने वाली है कि 21 दिसम्बर, 2020 से 20 जनवरी, 2021 तक चलित में अंक 8 (ओज) था, जबकि 21 जनवरी, 2021 से 20 फरवरी, 2021 तक चलित में अंक 8 (सौम्य) था। 21 फरवरी से चलित में अंक 3 का आगमन होता है। 20 मार्च तक यह चलता है और उसके बाद 1 महीने अर्थात् 20 अप्रैल तक अंक 9 चलता है। पिछले वर्ष भी इन्हीं 2 अंकों ने कोरोना के मामले में क़हर बरपाया था और इस बार भी इन्हीं 2 अंकों ने क़हर बरपाया है।

21 फरवरी के बाद ही कोरोना का तेज़ी से विस्तार शुरू हुआ है। अंक 3 अंक 9 की अवधि समाप्त होने के बाद अर्थात् 20 अप्रैल के बाद चलित में अंक 6 और उसके बाद अंक 5 आता है। अंक 6 21 अप्रैल से 20 मई रहता है। अंक 6 अंक 4 का विरोधी अंक है। अंक 4 की कोरोना के मामले में विशेष भूमिका पहली लहर में भी थी, दूसरी लहर में भी है और तीसरी लहर में भी रहेगी। इस कारण 1 अप्रैल से ही वैसे तो कोरोना के केस में भयानक वृद्धि आरंभ हो गयी क्योंकि अप्रैल का अपना अंक 4 है, किंतु इन केस में 21 अप्रैल के बाद एक विशेष दुर्भाग्यपूर्ण बात देखने में आती है।

किस कारण बढ़ी कालाबाजारी

कोरोना के इस चरण के मामले में चाहे इंजेक्शन रेमडीसीवर की कालाबाजारी हो, चाहे ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी, चाहे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी हो अथवा अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड की कालाबाजारी हो; सब के सब मामले 20 अप्रैल के बाद से ही अधिक सामने आ रहे हैं। इसका कारण यह है कि अंक 6 अंक 4 का विरोधी अंक है। अंक 6 शुक्र का प्रतिनिधि है। अंक 6 अर्थात् धन की अंक 4 अर्थात् राहू के साथ विरोधी युति से धन सम्बन्धी भ्रष्टाचार पनपता है। 21 अप्रैल से चलित में अंक 6 के आते ही अंक 4 के सहयोग से ऐसे धन सम्बन्धी भ्रष्टाचार के मामले बहुत बुरी तरह उछल-उछल कर सामने आने लगे।

कब गिरेगा कोरोना का ग्राफ

अब बात करते हैं कि कोरोना का यह मामला कहाँ जाकर धीमा पड़ेगा और कहाँ जाकर हमें इससे मुक्ति मिलेगी? जैसा कि हमने पहले भी कहा है कि कोरोना के मामले में अंक 7 की भूमिका बहुत विशेष है। अंक 7 केतु अर्थात् पानी का है। कोरोना का यह जबरदस्त स्वरूप ठंडा पड़ने के लिए अंक 7 का सशक्त होना आवश्यक है। अंक 7 बरसात से ही सशक्त हो सकता है। इस मौसम में अनियमित बरसात की बात और है, किंतु नियमित बरसात तो मानसून में ही आएगी। 21 मई से 20 जून तक अंक 5 है जो कि इस वर्ष का स्वामी भी है और यह अंक ऑक्सीजन संबंधी मामलों से कोरोना वायरस के मरीजों के मरने में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। इस कारण यह मानकर चलना चाहिए कि 20 जून तक तो ऐसे मामले में परेशान करेंगे। चूँकि 31 मई तक मासांक भी 5 है। इस कारण मासांक, चलित अंक और वर्षांक, तीनों ही में अंक 5 होने के कारण यह स्थिति लगभग बुरी जैसे ही रहेगी।

1 जून से 20 जून तक मासांक 5 की अपेक्षा 6 हो जाएगा। ऐसे में कुछ राहत की उम्मीद की जा सकती है। यह राहत चिलचिलाती धूप में कुछ छींटों के समान ही होगी। 21 जून से चलित में अंक 2 व 7 आते हैं। यह दोनों स्त्री अंक है। यहाँ से अंक 7 अर्थात् बरसात की भूमिका आरंभ हो जाती है। लगभग इसी समय मानसून मध्य भारत के आसपास पहुँचता है। वैसे मानसून मई महीने के अन्त अथवा जून महीने के आरम्भ में केरल के तटीय क्षेत्रों में आ जाता है, किंतु मानसून को परवान चढ़ने अर्थात् मध्य भारत के आसपास पहुँचते-पहुँचते जून मध्य का समय हो जाता है। यह समय अंक ज्योतिष के अनुसार वही 20 जून के बाद अर्थात् 21 जून के आसपास बैठता है। इसके बाद भारत वर्ष में मानसून प्रबल होता जाता है।

कब मिलेगी कोरोना से मुक्ति

चलित में भी अंक 2 व 7 21 जून से आरंभ होते हैं, जो कि 20 जुलाई तक चलते हैं। 21 जुलाई से 20 अगस्त तक चलित में अंक 1 व 4 आ जाते हैं। जुलाई महीने के कारण 21 जुलाई से 31 जुलाई तक अंक 7 रहता है। अतः आकलन यह कहता है कि 21 जून से आगे बढ़ते जाने पर हमारे देश में कोरोना का ग्राफ बराबर गिरता जाएगा और यहां से हमें से मुक्ति मिलनी आरंभ हो जाएगी। जैसे-जैसे मानसून अपना उठाव लेगा व आगे बढ़ेगा, उसी प्रकार से कोरोना का उसी के अनुपात में अंत होता जाएगा और मानसून विदा होते-होते कोरोना से हमारा देश लगभग राहत पा लेगा और जीवन की गाड़ी एक बार फिर से जनवरी-फरवरी 2021 की तरह पटरी पर आ जाएगी। हमारी भारतीय भौगोलिक परंपराओं के अनुसार मानसून की जनक वर्षा ऋतु अर्थात चतुर्मास (जिसे चौमासा भी कहते हैं) देवोत्थान एकादशी तक रहता है। इस बार देवोत्थान एकादशी मध्य नवंबर के आसपास पड़ रही है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि कोरोना कम-अधिक रूप में इस वर्ष के नवंबर तक तो रहेगा।

कब आयेगी कोरोना की तीसरी लहर

अब जहाँ तक इसके तीसरे स्वरूप की बात है, तो उसके मामले में भी अंक 3 व अंक 8 की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहेगी। अगले वर्ष 2022 का अंक 6 है। यह भ्रष्ट होता है अंक 8 की संगत में। 21 दिसंबर से 20 फरवरी 2022 तक चलित में अंक 8 रहेगा। यह वह समय है कि जब कोरोना वायरस का तीसरा रूप या लहर दुनिया के किसी हिस्से में पैदा होगी और आगे से आगे फैलेगी। जहाँ तक हमारे देश में कोरोना की तीसरी लहर के प्रकोप की बात है, तो उसके लिए फिर 3 तीन की प्रभावी भूमिका रहेगी अर्थात् वर्ष 2022 में 21 फरवरी से आगे का समय कोरोना की तीसरी लहर के प्रकोप का है। इसे ध्यान में रखते हुए हमें पहले से ही इसके बचाव के लिए समुचित उपाय व प्रबंध कर लेने चाहिए।

(कोरोना की पहली लहर के बारे में जाने-माने अंक ज्योतिषी डॉ. गणेश कुमार ने 28 अप्रेल, 2021 की रात्रि 9:12 से 9:47 बजे के बीच अपने facebook live में सटीक भविष्यवाणी की थी। जिसमें उन्होंने नवम्बर, 2020 में कोरोना का दूसरा रूप या कोरोना जैसी कोई और महामारी आने के संकेत पहले ही दे दिये थे। विदित हो कि कोरोना की यह दूसरी लहर नवम्बर, 2020 में ही पैदा हुई है।)

Madhukar Mishra

प्रयागराज में जन्में मधुकर मिश्र को प्रिंट, इलेक्‍ट्रानिक और डिजिटल मीडिया में बीते दो दशक से ज्‍यादा धर्म-अध्‍यात्‍म और राजनीति की पत्रकारिता का अनुभव है. देश के चारों कुंभ की कवरेज का अनुभव रखते हुए संत, सत्‍संग और शोध के जरिए धर्म और ज्‍योतिष के मर्म को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना ही इनका पसंदीदा कार्य है. ‘कुंभ टीवी.कॉम’ के जरिए सनातन परंपरा से जुड़े सत्य को तथ्य के साथ तथा प्रयागराज कुंभ 2025 की हर खबर को आप तक सबसे पहले पहुंचाने के लिए संकल्पित हैं।

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