कीस के आदिवासी बच्चों पर बनी ‘जंगल क्राई’ को मिला ‘सर्वश्रेष्ठ फिल्म’ का खिताब
डॉ.अच्युत सामंत के प्रयास से 2005 में शुरु हुआ था गरीब बच्चों के लिए रग्बी खेल का प्रशिक्षण
—2007 में आदिवासी बच्चों ने इंग्लैंड में जीता था अण्डर-14 रग्बी वर्ल्ड कप
— दुनिया का का सबसे बड़ा आदिवासी आवासीय विद्यालय है ‘कीस’
11वें दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2021 में “जंगल क्राई” फिल्म ने ‘सर्वश्रेष्ठ फिल्म’ (जूरी) का पुरस्कार जीता। ‘‘जंगल क्राई” कलिंगा इंस्टीच्यूट ऑफ़ सोसल सांइसेज (के.आई.एस.एस.) के 12 छात्रों की प्रेरणादायक सच्ची कहानी पर आधारित है, जिन्होंने साल 2007 में यू.के. में आयोजित इंटरनेशनल जूनियर रग्बी टूर्नामेन्ट में भाग लेकर विजयगाथा लिखी थी। गरीब आदिवासी बच्चों के लिए समर्पित इस संस्था से जुड़े बच्चों ने इंग्लैंड में प्रतिष्ठित अण्डर-14 रग्बी वर्ल्ड कप को जीत कर इतिहास रच दिया था।
‘जंगल क्राई’ फिल्म की पटकथा इस बात को प्रस्तुत करती है कि मुश्किल नहीं जो ठान लीजिए। बिल्कुल वैसे ही जैसे कि कलिंगा इंस्टीच्यूट ऑफ़ सोसल सांइसेज (के.आई.एस.एस.) गरीबी उन्मूलन में मदद करते हुए गरीब आदिवासी बच्चों की शिक्षा एवं खेल को बढ़ावा देते हुए उनके भीतर राष्ट्रभक्ति का जज्बा भरने का काम बीते तीन दशक से करता चला आ रहा है। कीस के 12 छात्रों की जीवन-यात्रा पर आधारित रग्बी खेल को थीम बनाकर इस फिल्म का संचालन ‘भेजा फ्राई’ के सुप्रसिद्ध सागर बल्लरी और बॉलीवुड-हॉलीवुड प्रोडक्शंस से जुड़े प्रशान्त शाह ने किया है।
विदित हो कि उड़ीसा के कलिंग कहे जाने वाले जाने-माने समाजसेवी और लोकप्रिय सांसद डॉ. अच्युत सामंत ने 30,000 आदिवासी छात्र-छात्राओं का शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण करने के लिए एक आवासीय संस्थान के.आई.एस.एस. को स्थापित किया है। जो कि बीते तीन दशक से गरीब आदिवासी बच्चों के लिए केजी से पीजी तक की न सिर्फ मुफ्त शिक्षा मुहैया कराता है बल्कि खेल के जरिए आगे बढ़ने के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध करा रहा है।
इसी दिशा में डॉ. सामंत द्वारा साल 2005 में गरीब बच्चों को रग्बी का प्रशिक्षण दिलाने की शुरूआत की गई थी। इसके ठीक दो साल बाद यानि वर्ष 2007 में कलिंगा इंस्टीच्यूट ऑफ़ सोसल साइंसेज (के.आई.एस.एस.) के 12 लड़कों की रग्बी टीम ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए इंग्लैंड में आयोजित अण्डर-14 रग्बी वर्ल्ड कप में हिस्सा लेकर एक इतिहास रचा था। तब से लेकर आज तक इस कैंपस में गरीब आदिवासी बच्चों को विभिन्न खेलों के लिए बेहतर प्लेटफार्म मुहैया कराते हुए उन्हें खेल जगत में बेहतर करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। के.आई.एस.एस. की इसी अनूठी उपलब्धि को बहुत ही खूबसूरती के साथ ‘‘जंगल क्राई” फिल्म में दर्शाया गया है।
“जंगल क्राई” फिल्म को ‘सर्वश्रेष्ठ फिल्म’ का खिताब मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए के.आई.एस.एस. के संस्थापक डॉ. अच्युत सामंत ने इस फिल्म के निर्माता प्रशान्त शाह और निर्देशक सागर बल्लरी को इस उपलब्धि और पहचान के लिए बधाई दी है। साथ ही साथ उन्होंने पुरस्कार के लिए इस फिल्म चयन करने के लिए जूरी को धन्यवाद दिया। डॉ. सामंत ने कहा कि ” मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि साल 2007 में इंग्लैंड में आयोजित अण्डर-14 रग्बी चैम्पियनशिप में कीस के छात्रों ने जिस बहादुरी से सभी भौगोलिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक बाधाओं को पार करते हुए जीत हासिल की, उसे ‘जंगल क्राई’ फिल्म में बेहतर तरीके से दर्शाया गया है।
आखिर कौन हैं अच्युत सामंत
उड़ीसा में मौन शैक्षिक क्रांति लाने वाले डॉ. सामंत विश्व विख्यात शैक्षिक संस्थान के आईआईटी (कीट) कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलोजी और केआईएसएस (कीस) कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के संस्थापक हैं। जिसे उन्होंने अपनी 1992-93 में अपनी कुल जमा पूंजी 5000 रुपए से शुरु किया था। महज चार साल की अवस्था में डॉ. सामंत के पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद उनका बचपन भूख और गरीबी के बीच बीता। अपने उन्हीं कठिन दिनों को याद करते हुए डॉ. सामंत कहते हैं कि उनका आजीवन प्रयास रहेगा कि कोई भी बच्चा उनकी तरह माता-पिता की असामयिक मृत्यु अथवा गरीबी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित न रह जाय।
प्रो. सामंत ने हमेशा से इन आदिवासी छात्रों की शिक्षा को हर चीज से ऊपर रखा है। सभी स्तरों पर ऑनलाइन कक्षा आरम्भ करने के लिए पूरी तरह से शैक्षणिक कार्यक्रम बनाए रखने में कीस अग्रिणी संस्थानों में से एक रहा है। इस दौरान कीस ने अपने छात्रों के स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए लगातार प्रयासरत है। डॉ. सामंत के सामाजिक कार्यों को देखते हुए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।