साल 2020 की कड़वी यादों के साथ जब हम नव वर्ष 2021 की यात्रा पर निकल रहे हैं, उसमें हमारे सामने कई चुनौतियां सामने हैं। इन्हीं चुनौतियों के समाधान और लक्ष्य के मार्ग के बारे में भारतीय योगी, रहस्यदर्शी और ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक सद्गुरु ने देश-दुनिया को अपना संदेश दिया है।
जब हम 2020 का पेज पलट रहे हैं, जो कोविड-19 महामारी का वर्ष था, और उससे कई पाठ पढ़ने के बाद, सद्गुरु का नए साल का संदेश है कि निराशा और कठिनाइयों को भविष्य के लिए पर्यावरण को सुरक्षित करने के हमारे प्रयास के रास्ते में नहीं आने दें। सद्गुरु का कहना है कि चेतना और जिम्मेदार कार्यवाही से हम महामारी से आगे बढ़ सकते हैं।
सद्गुरु ने बीते साल की कड़वी यादों से सबक लेने की सीख देते हुए कहा कि ‘हर किसी की जिंदगी को उलट-पलट कर देने की अपनी काबिलियत के कारण, साल 2020 इस पीढ़ी पर जरूर एक अमिट छाप छोड़ेगा। अगर हम लड़ाइयों, महामारी, और प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में पिछली सदी को देखें, तो 21वीं सदी के पहले बीस साल एक आशीर्वाद रहे हैं। पर्यावरण पर दिखते विनाशकारी संकेतों के बीच, जब हमारा पूरा प्रयास भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण के संरक्षण पर केंद्रित होना चाहिए था, वायरस की महामारी हर चीज को राह से डिगा रही है।’
सद्गुरु के अनुसार यह महामारी, इतनी हानिकारक होने के बावजूद भी एक हल्की चीज है। नागरिकों की एक सचेतन और जिम्मेदार कार्यवाही से इसे ठंडा किया जा सकता है। सद्गुरु का कहना है कि मानव सामर्थ्य में, प्रतिक्रिया करने के बजाय उत्तर देना ही समाधान है, सिर्फ महामारी से बचने के लिए ही नहीं, बल्कि एक अधिक सभ्य और टिकाऊ दुनिया के लिए नई संभावनाएं पैदा करने के लिए भी।
सद्गुरु का कहना है कि निश्चित रूप से संभावना और हकीकत के बीच एक दूरी होती है। सद्गुरु की कामना है कि खुद को एक बेहतर इंसान और परिणाम स्वरूप एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए, हम सब के पास साहस, प्रतिबद्धता, और चेतना हो। निराशा नहीं, बल्कि जो चीज संपूर्ण जीवन के लिए मायने रखती हो, उसे बनाने के लिए प्रतिबद्धता ही आगे बढ़ने का तरीका है।