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Prayagraj Mahakumbh 2025: चार धूनों और पांच बख्शीशों वाले बड़े उदासीन अखाड़े को मिला नया मुखिया महंत

Panchayati Akhada Bada Udasin: पश्चिमी पंगत के लिए बड़े धूमधाम से हुआ महंत रामनौमी दास का पट्टाभिषेक

Panchayati Akhada Bada Udasin: प्रयागराज के पावन संगम तट पर सनातन परंपरा के ध्वजवाहक माने जाने वाले अखाड़ों का प्रतिदिन पहुंचना जारी है। साथ ही साथ अखाड़ों के भीतर की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए संतों और महंतों के चयन की प्रक्रिया भी जारी है। इसी क्रम में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन ने अपनी पश्चिमी पंगत के लिए नये मुखिया महंत के पद पर महंत रामनौमी दास जी का चयन करते हुए उनका विधि-विधान से पट्टाभिषेक किया। बड़ा उदासीन अखाड़े के नये मुखिया महंत देश की राजधानी दिल्ली के कमला मार्केट स्थित हरिहर आश्रम के संत हैं। जिनके गुरु संत गुरुशरण दास जी महाराज हैं। महंत रामनौमी दास जी बाल्यावस्था से ही संत हैं और उनका संत समाज में काफी मान-सम्मान है।

पंच की सहमति से चुने जाते हैं मुखिया महंत

महंत रामनौमि दास को पूरे विधि-विधान से पूजन के बाद पूज्य संतों ने चादर ओढ़ाकर उन्हें इस पद की जिम्मेदारी सौंपी। इस अवसर पर विभिन्न अखाड़ों के प्रतिनिधि एवं पूज्य संतों के साथ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्र पुरी भी उपस्थित रहे। महंत रवींद्र पुरी के अनुसार किसी भी अखाड़े में मुखिया महंत के चुनाव की प्रक्रिया पंचों की सहमति से होती है। पूजन की प्रक्रिया के बाद तमाम संतों के साथ अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने महंत रामनौमी दास जी को चांदना और चादरपोशी करके उन्हें शुभकामनाएं दीं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के अनुसार प्रयागराज में सबसे बड़ी पेशवाई हमेशा से बड़ा उदासीन अखाड़े की होती रही है।

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पद पर बैठते ही पूजनीय हो जाता है संत

बड़ा उदासीन अखाड़े के मुखिया महंत और अखिर भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत दुर्गादास जी महाराज के अनुसार अखाड़े के भीतर इस पद पर बैठने वाले व्यक्ति का बहुत बड़ा दायित्व होता है। पद पर बैठते ही उनके कंधों पर पूरे समाज का भार आ जाता है। चयन की इस प्रक्रिया के पूरे होते ही वे पूजनीय हो जाते हैं और उसके बाद उनका जो आदेश होता है, उसका सभी लोग पालन करते हैं। महंत दुर्गादास जी ने कहा कि उन्हें आशा है कि महंत रामनौमिदास जी इस पद पर रहते हुए अखाड़े और देश के विकास का कार्य करेंगे तथा इस पद की मर्यादा को अक्षुण्य बनाए रखेंगे।

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सनातन परंपरा और अखाड़े के लिए कार्य करूंगा

महंत महामंडलेश्वर रामनौमी दास ने कहा, “आज मुझे भगवान श्रीचंद्र महाराज की कृपा और पंच परमेश्वर के आशीर्वाद से पश्चिमी पंगत के मुखिया महंत के लिए चुना गया है। आज गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी स्थान पर मेरी यही कामना है कि मैं भविष्य में सनातन परंपरा के लिए अच्छा से अच्छा कार्य कर सकूं। प्रयागराज महाकुंभ में संतों के साथ मिलकर सनातन परंपरा से विमुख हो रहे लोगों को सही राह पर लाने के लिए प्रयास करूंगा।

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पद के साथ आती है ये बड़ी जिम्मेदारी

पंचायती अखाड़ा उदासीन में तीन मुखिया महंत और एक अध्यक्ष होता है। वर्तमान में बड़ा उदासीन अखाड़े के अध्यक्ष महंत महेश्वरदास जी महाराज हैं। अखाड़े की परंपरा के अनुसार मुखिया महंत के पद पर आसीन होने के बाद संत को अखाड़े के साथ समाज और सनातन परंपरा के लिए कार्य जैसे संस्कृत विद्यालय, गौशाला, नि:शुल्क चिकित्सालय, अन्न क्षेत्र आदि चलाने जैसे कार्य करने होते हैं।

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Ashutosh Shukla

भारतीय संस्कृति में कुंभ मंगल, शुक्ल, सौंदर्य और पूर्णत्व का प्रतीक है। व़ैदिक मंत्रोच्चार के साथ धर्म ध्वजाओं के तले आस्था, विश्वास, समर्पण, और सेवा से सराबोर प्रयागराज महाकुंभ 2025 और सनातन परंपरा से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर को जानने के लिए जुड़ें www.kumbhatv.com से...

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