ग्रह-नक्षत्रज्योतिष

Retrograde Saturn Effects : वक्री शनि बिगाड़ेंगे चार राशियों का खेल, जानें क्या आपकी किस्मत से खाएंगे मेल?

- पं. किशोर ​गिल्डियाल, जाने-माने ज्योतिषविद्

संस्कृत मे शनि को शनैश्चर अर्थात मंद गति से चलने वाला कहा गया है। यह एक राशि में ढाई वर्ष में तथा पूरा भचक्र 30 वर्षों मे पूरा करता है। लंबे समय तक अपना प्रभाव डालने के कारण इसे धरती पर सबसे भयानक ग्रह के रूप मे जाना जाता है। मन्त्रेश्वर द्वारा रचित ग्रंथ फलदीपिका मे शनि को लंगड़ा कर चलने वाला, नसों से भरा व गहरी आँखों वाला, आलसी, काले रंग का, वातजनित, लंबे नाखून व दांत वाला, रूखे बाल वाला गंदा व जिद्दी कहा गया है। जिसको धरती पर आयु, भय, मृत्यु, शोक, बदनामी, गरीबी, बीमारी, बंधन, निम्न स्तर के कार्य, मानसिक रोग, आलस्य, कारागार में कैद आदि का प्रतीक माना गया है। इसके प्रभाव से मानव शरीर में गठिया, पैरो व हड्डियों मे दर्द, आलस्य, थकावट, स्नायु विकार, पक्षाघात, प्रेत बाधा आदि की समस्या होती है।

राशियो मे शनि को कर्म व लाभ भाव की लगातार दो राशियो का स्वामी कहा गया है, जो कर्म द्वारा लाभ प्राप्ति की प्रेरणा प्रदान करते हैं। यह कालपुरुष के लग्न में नीच तथा सप्तम भाव मे उच्च के होते हैं। इन्हे दक्षिणायन (कर्क से धनु राशि तक), कृष्ण पक्ष, शनिवार, चन्द्र संग, सप्तम, अष्टम, एकादश भावों में, तुला, मकर व कुंभ राशि में, वक्री अवस्था में, सूर्य द्वारा प्रभावित ना होने पर बली माना जाता है। बली अथवा शुभावस्था मे होने पर यह जातक को बहुत ऊंचाई व सफलता प्रदान करते हैं। (उद्योगपतियों की पत्रिकाओ मे शनि की स्थिति देखी जा सकती हैं) विशेषकर बुध,शुक्र व स्वयं के लग्नों मे शनि ज़्यादा शुभफल प्रदान करते देखे गए हैं।

शनिदेव 23 मई 2021 दोपहर 2:50 पर शनि वक्री होकर लगभग 141 दिन अर्थात 11 अक्टूबर 2021 तक उलटी चाल चलेंगे। यहां पर समझने वाली बात यह है कि जब कोई ग्रह वक्री हो जाता है तो वह अत्यंत प्रभावशाली हो जाता है और यदि वह पाप ग्रह है तो निश्चित रूप से वह और भी आकस्मिकता भरा प्रभाव देने योग्य हो जाता है। वक्री ग्रह का अर्थ होता है कि वह आपसे कोई छूटा हुआ काम अवश्य पूरा कराना चाहता है और आपको वह काम दोबारा करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं शनि की उलटी चाल का 12 राशियों पर कैसा असर पड़ने जा रहा है।

मेष :
मेष लग्न वालों के लिए शनि दसवें भाव में ही वक्री होंगे। ऐसे में इससे संबंधित जातकों को चाहिए कि वह अपना काम समय पर पूरा करें। साथ ही किसी से अगर कोई वादा किया है तो भूलकर भी न तोड़ें। इस दौरान आपकी आमदनी बढ़ेगी और पढ़ाई भी अच्छी होगी परंतु घर में कोई तनाव बना रहेगा।

वृष :
वृष लग्न वालों के लिए शनि नवे भाव में वक्री होंगे, जिसके चलते इस संबंधित जातक धर्म-कर्म संबंधित चीजों को निश्चित समय पर करवाना पसंद करेंगे। साथ ही शनि की वक्री चाल के चलते इन जातकों के लिए मकान एवं संपत्ति हेतु यह अच्छा समय रहेगा।

मिथुन:
मिथुन लग्न की बात करें तो इसके अष्टम भाव से शनि का यह गोचर हो रहा है, जिसमें इससे संबंधित जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा। साथ ही खानपान पर भी पूरा ध्यान देना होगा। मिथुन लग्न के जातकों को चाहिए कि वह अपने प्रत्येक काम को अपने शुभचिंतकों और वरिष्ठ लोगों की सलाह लेकर करें एंव सोच-समझकर खर्च करें।

कर्क:
कर्क लग्न वालों के सप्तम भाव से यह शनि का गोचर हो रहा है, जो वैवाहिक जीवन में सब कुछ सही करने का समय है अन्यथा आपको भविष्य में परेशानी आ सकती है। हालांकि इस दौरान धन का आगमन बना रहेगा। पैतृक संपत्ति मिलने की संभावनाएं भी बलवती होंगी।

सिंह:
सिंह लग्न वालों के छठे भाव में शनि वक्री होंगे। ऐसे में इससे संबंधित जातकों का जीवनसाथी उन पर हावी होने का प्रयास करेगा। दांपत्य जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए इस दौरान छोटी-मोटी बातों को तूल न देना बेहतर रहेगा। साथ ही इस दौरान परीक्षा-प्रतियोगिता में सफलता पाने के लिए अपने प्रयासों में तेजी लाने का प्रयास करना चाहिए।

कन्या:
कन्या लग्न वालों के पंचम भाव में पंचमेष शनि स्वयं वक्री होंगे, जो प्रेम संबंधों में तनाव दे सकते हैं, लेकिन शिक्षा के लिए यह बेहतरीन समय रहेगा। इस लग्न से संबंधित जातकों को आने वाले 141 दिनों तक अपने पेट का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। साथ ही साथ अपने खर्चे पर भी नियंत्रण करना होगा, अन्यथा आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

तुला:
तुला लग्न वालों के चौथे भाव में शनि का गोचर लाभकारी रहेगा। शनि की वक्री चाल का दुष्प्रभाव माता-पिता की सेहत पर देखने को मिल सकता है। हालांकि स्वयं की सेहत एवं संपत्ति हेतु यह अच्छा समय रहेगा।

वृश्चिक:
वृश्चिक लग्न वालों के तीसरे भाव में शनि का गोचर संपत्ति एवं भूमि-भवन आदि से जुड़े मामलों में लाभ कराता हुआ दिख रहा है। हालांकि शनि की वक्री चाल का आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में इस 141 दिनों तक आपको अपनी सेहत संबंधी किसी भी दिक्कत की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

धनु:
धनु लग्न वालों के दूसरे भाव में शनि का गोचर होगा, जो उन्हें इष्ट-मित्रों से लाभ करवायेगा लेकिन इस दौरान किसी भी प्रकार के बड़े बदलाव का विचार अपने मन में लाने से बचें। वहीं शनि की वक्री गति के दौरान धन का आगमन होता रहेगा।

मकर:
मकर लग्न वालों की बात करें तो उनके लग्न में ही यह गोचर होगा। ऐसे में उन्हें अपनी सेहत संबंधी किसी भी बात अनदेखी नहीं करनी होगी। खान—पान संबंधी सभी नियमों का पालन करना होगा। साथ ही साथ अपने सारे काम नियत समय पर करने होंगे। इस लग्न से संबंधित जातकों को नाम और प्रसिद्धि कमाने का यह बेहतरीन समय है। हालांकि दांपत्य जीवन में कुछेक तनाव बने रहेंगे।

कुंभ:
कुंभ लग्न के जातकों के लिए शनि का गोचर बारहवें भाव में हो रहा है, जो कि शुभ संकेत है। इस दौरान इस लग्न के जातकों को खूब दान, पुण्य कर शुभत्व की प्राप्ति करनी चाहिए। इस उपाय से न सिर्फ आपके कार्यों में गति आयेगी बल्कि सेहत भी अच्छी रहेगी। हालांकि इस 141 दिनों के भीतर आपके जीवन में अचानक से कोई बड़ा बदलाव भी हो कसता है।

मीन:
मीन लग्न वालों के लिए यह शनि का गोचर एकादश भाव में होगा, जो यह बता रहा है कि आप यदि आप अपने पैसे को सही जगह पर लगाते हैं तो निश्चित रूप से आपकी प्रसिद्धि और लाभ दोनों ही बढ़ेगा। हालांकि इस दौरान संतान की पढ़ाई-लिखाई पर अत्यंत ध्यान देने की जरूरत रहेगी।

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