Haridwar Kumbha 2021 : ऋषिकेश, हरि की नगरी यानि हरिद्वार में चल रहे कुंभ में सरसंघचालक मोहन भागवत ने पहुंच विभिन्न धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और आस्था के महापर्व को भारतीय संस्कृति की धरोहर बताया। इसी क्रम में उन्होंने ‘अमर मुनि धाम’ स्वामी रामतीर्थ मिशन हरिद्वार का उद्घाटन किया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सहभाग करते हुए जन समुदाय को सम्बोधित किया।
कोरोना काल में चल रहे आस्था के महाकुंभ पर बोलते हुए स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि इस वायरस से बचने के लिए आज लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है लेकिन लोगों की वाणाी और व्यवहार में जो वायरस प्रवेश कर रहा है, उससे बचने के लिए स्वामी रामतीर्थ जी के विचारों के वैक्सीन की जरूरत है। जिनके मन, वाणी और सेवा कार्यो से सदैव भारतीय संस्कृति की गंगा बहती थी। स्वामी चिदानदं मुनि जी के अनुसार आज समाज को भारतीय संस्कृति, संस्कारों और भारतीय मूल्यों की वैक्सीन की बहुत जरूरत है, ताकि इस कोरोना काल में जनमानस में करूणा उत्पन्न हो सके।
परमार्थ अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के अनुसार स्वामी रामतीर्थ जी पावन चरित्र के संत थे। जिनका आदर्श वाक्य ‘भारत भूमि मेरा शरीर है, कन्याकुमारी मेरे पैर हैं और हिमालय मेरा सिर’ राष्ट्र भक्ति और देश सेवा का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। उनका पूरा जीवन वेदान्त, आध्यात्म और हिन्दू दर्शन पर आधारित था। इस अवसर पर स्वामी जी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि सत्य, प्रेम, करूणा और शुचिता का आह्वान कर भारतीय संस्कृति को अपने जीवन का अंग बनाये।
सर संघचालक मोहन भागवत के अनुसार स्वामी रामतीर्थ का एक ही लक्ष्य था- समाज को जागरुक करना और सामाजिक कुरीतियों को दूर करना। इस अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, योगी बालक नाथ जी और आचार्य बालकृष्ण जी ने भारतीय संस्कृति और शुचिता युक्त जीवन जीने वाले सर संघचालक आदरणीय श्री मोहन भागवत जी को रूद्राक्ष का पौधा देकर उनका अभिनन्दन किया।