धर्म

दिया जलाने से पहले जरूर जान लें उसका नियम

Rules for Diya

सनातन परंपरा में की जाने वाली साधना-आराधना में दीपक का अत्यंत महत्व है। शायद ही कोई ऐसी पूजा हो जो बगैर धूप दीप के संपन्न होती हो। देवी-देवता, मनोकामना या कार्य सिद्धि के लिए की जाने वाली साधनाओं में विभिन्न प्रकार के दीपक का अत्यधिक महत्व है। मसलन किसी देवी-देवता के लिए दीपक कैसा है। किसी कार्य या कामना को पूरी करने के लिए कितनी बाती वाला दीपक हो अथवा किस चीज को डालकर दीपक जलाया जाए आदि चीजों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर किसी भी पूजा में दीपक का प्रयोग करते समय हमें किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए :-

  • किस भी देवी-देवता के सामने जलाया जाने वाला दीपक पूजा संपन्न होने के बाद तुरंत नहीं बुझना चाहिए। पूजा के बाद कई घंटों तक जलने वाला दीपक शुभ माना जाता है।
  • देवी-देवता या कामना विशेष के तहत जलाए जाने वाले दीपक में बाती की संख्या बहुत मायने रखती है। जैसे प्रत्यक्ष देवता सूर्य के लिए सात बत्तियों वाला और देवी भगवती जगदंबा के लिए नौ बत्तियों वाला और महादेव के लिए पांच बत्तियों वाला दीपक विशेष रूप से जलाया जाता है।
  • यदि आप धन-धान्य की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो माता लक्ष्मी के सामने जलाए जाने वाली दिये की बाती हमेशा लाल रंग के धागे की बनाएं। इसके लिए आप मौली का प्रयोग कर सकते हैं।
  • मां लक्ष्मी से धन-धान्य की प्राप्ति के लिए की जाने वाली साधना का दीपक सामान्य और गहरा होना चाहिए।
  • संकटमोचन श्री हनुमानजी का आशीर्वाद पाने के लिए हमेशा तिकोने दीपक का प्रयोग करें। श्री हनुमान जी को शीघ्र ही प्रसन्न करने के लिए चमेली के तेल वाला दीपक जलाना चाहिए।
  • करिअर और कारोबार में कामयाबी के लिए और समाज में मान-सम्मान की कामना को पूरा करने के लिए शनिदेव के मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाने का विधान है।
  • कोर्ट-कचहरी में चल रहे मुकदमें में विजय पाने के लिए भगवान कार्तिकेय के सामने पंचमुखी दीपक जलाएं।
  • किसी प्रकार के संकट को दूर करने या फिर शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भैरव मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाने का विधान है।
  • राहु के रोड़े और केतु के कष्ट को दूर करने के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाने का विधान है।
  • दांपत्य जीवन में मधुरता और पारिवारिक सामंजस्य को बनाए रखने के लिए रामदरबार के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाने का विधान है।
  • मनोकामना की पूर्ति की दृष्टि से देखें तो शीघ्र विवाह के लिए सुख समृद्धि के लिए तुलसी के पौधे के पास , गुरुवार के दिन केले के पेड़ के नीचे, शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे, नजर या टोटके के लिए चौराहे पर दीपक जलाने का विधान है।
  • पूजा में चौमुखा दीपक का प्रयोग चारों तरफ से आ रही समस्याओं को दूर करने और चहुंमुखी लाभ की कामना से किया जाता है।

किसी साधना या पूजा विशेष को करने से पूर्व दीपक को जलाते समय नीचे दिए गये मंत्र को जरूर पढ़ें :-

दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।

दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।

शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।

शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।

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भारतीय संस्कृति में कुंभ मंगल, शुक्ल, सौंदर्य और पूर्णत्व का प्रतीक है। व़ैदिक मंत्रोच्चार के साथ धर्म ध्वजाओं के तले आस्था, विश्वास, समर्पण, और सेवा से सराबोर प्रयागराज महाकुंभ 2025 और सनातन परंपरा से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर को जानने के लिए जुड़ें www.kumbhatv.com से...

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