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महाराष्ट्र में गाय बनी ‘राज्यमाता’, राष्ट्रमाता के लिए अब नजरें केंद्र सरकार पर हैं टिकी

गोमाता को राष्ट्रमाता बनाने के लिए 36 राज्यों की 24,663 लंबी यात्रा पर निकले हैं ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज

Gau Mata Rashtra Mata: गोमाता को राष्ट्रमाता बनाने और गो हत्या बंद कराने के लिए ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने इन दिनों एक बड़ा आंदोलन छेड़ रखा है। रामलला की धरती आयोध्या से शुरु हुए इस बड़े आंदोलन को लेकर भले ही कुछेक राज्यों में विरोध हुआ हो लेकिन अब शंकर के इस सन्यासी का प्रयास रंग ला रहा है क्योंकि महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने गाय को अपने राज्य में माता का दर्जा दे दे दिया है और मान्यता है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ सरकार भी उसे राज्य माता घोषित कर सकती है।

shankaracharya swami avimukteshwaranand Saraswati movement for cow Gomata Rashtra Mata Gau Dhwaj

जिस देश में गाय की चर्बी वाले कारतूस के विरोध में स्वतंत्रता का संग्राम छिड़ गया था उसी देश में गोहत्या को बंद कराने और उसे राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए इस आंदोलन में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साथ गोप्रतिष्ठा आंदोलन के संयोजक गोपाल मणि महाराज भी पूरे समर्पित भाव के साथ चल रहे हैं। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज के अनुसार इस इस गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा का लक्ष्य गोभक्तों के भीतर गोमाता के प्रति आदर और सम्मान को जागृत करने के साथ उसकी दुर्गति और हत्या को रोकना है। इसे पशु की बजाय राष्ट्र माता घोषित करवाना है।

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नव संवत्सर को गौ संवत्सर के रूप में मना रहे हैं गोभक्त

जिस गाय को सनातन परंपरा में मां के रूप में पूजा जाता है, उसकी प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाने के लिए इस आंदोलन की शुरुआत रामलला की नगरी आयोध्या से हुई। जहां पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रामकोट की परिक्रमा करने के बाद चारुशिला मंदिर में गो ध्वज स्थापित करने के बाद कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तभी पूर्ण मानी जाएगी जब गो माता की प्रतिष्ठा होगी। गो हत्या को मानव हत्या जैसा दंडनीय अपराध घोषित किया जाए। गौरतलब है कि शंकराचार्य और उनके भक्तगण इस बार नव संवत्सर को गौ संवत्सर के रूप में मना रहे हैं।

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तब करेंगे रामलला का दर्शन एवं पूजन

गोमाता से जुड़े इस कार्यक्रम में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का रामलला के मंदिर में न जाना काफी सुर्खियों में रहा। राम मंदिर में दर्शन न करने के पीछे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का तर्क था कि आधे-अधूरे मंदिर में भगवान की पूजा नहीं की जा सकती है। साथ ही यह भी कहा कि जब तक गाय को राष्ट्र माता घोषित नहीं किया जाता, तब तक वे रामलला के दर्शन नहीं करेंगे। वे भगवान राम का दर्शन और पूजन तभी करेंगे, जब केंद्र सरकार गौ रक्षा के लिए सख्त कानून बनाते हुए उसे राष्ट्र माता का दर्जा प्रदान करेगी।

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अयोध्या से अपने आंदोलन की शुरुआत करने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गोवंश पर केंद्र और राज्य सरकार पर दोहरा चरित्र रखने का आरोप लगाया। साथ ही साथ नागालैंड समेत कुछेक राज्यों में यात्रा का विरोध किये जाने पर भी कड़ा ऐतराज जताया। गौरतलब है कि उनके काफिले को अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में घुसने से रोक दिया गया, जबकि मेघालय के शिलांग हवाई अड्डे पर उनके चार्टर्ड विमान को उतरने की अनुमति ही नहीं मिली।

तब शंकराचार्य ने हवा में ही लहरा दिया गोध्वज

ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के नेतृत्व में 22 सितंबर से शुरु हुई गोध्वज स्थापना यात्रा 26 अक्टूबर तक चलेगी और यह भारत के 33 प्रदेशों की राजधानियों से होती हुई दिल्ली में जाकर पूरी होगी। विदित हो कि इस यात्रा के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद प्रत्येक राज्य की राजधानी में एक गो ध्वज की स्थापना कर रहे हैं। लेख लिखे जाने तक शंकराचार्य ने 14 राज्यों में प्रतीकात्मक और प्रत्यक्ष रूप से गोध्वज फहरा चुके हैं। गौरतलब है कि मेघालय में जब उनका चार्टर्ड विमान लैंड नहीं करने दिया गया तो उन्होंने हवा में ही गोध्वज लहरा कर गो प्रतिष्ठा आंदोलन को आगे बढ़ाया।

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गोमाता के लिए दिल्ली में होगा महासम्मेलन

अयोध्या से शुरू होने वाली गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा का समापन दिल्ली में 7 से 9 नवंबर को आयोजित राष्ट्रव्यापी गो प्रतिष्ठा महासम्मेलन के साथ होगा। इसमें देश के तमाम गणमान्य साधु-संतों, बुद्धजीवियों के साथ बड़ी संख्या में गोभक्त शामिल होंगे, जिन्हें जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा। माना जा रहा है कि गौ हत्या के कलंक को मिटाने और गोमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने के लिए यह महासम्मेलन निर्णायक साबित होगा।

गौ माता के लिए तब की थी नंगे पांव यात्रा

गोरक्षा और गोप्रतिष्ठा को लेकर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी इस बड़े आंदोलन को करने से पहले 14 मार्च से लेकर 28 मार्च तक नंगे पैर गोवर्धन से लेकर दिल्ली तक की पदयात्रा कर चुके हैं। इस यात्रा में हजारो की संख्या में गोभक्त भक्त शामिल हुए थे.

नोट : ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज से जुड़ी समस्त जानकारी पाने के लिए https://1008.guru/ पर क्लिक करें।

Ashutosh Shukla

भारतीय संस्कृति में कुंभ मंगल, शुक्ल, सौंदर्य और पूर्णत्व का प्रतीक है। व़ैदिक मंत्रोच्चार के साथ धर्म ध्वजाओं के तले आस्था, विश्वास, समर्पण, और सेवा से सराबोर प्रयागराज महाकुंभ 2025 और सनातन परंपरा से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर को जानने के लिए जुड़ें www.kumbhatv.com से...

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