कुंभ नगरी हरिद्वार में ज्योतिष और शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की भव्य पेशवाई बड़ी धूम-धाम से निकली। इस दिव्य और मंगल यात्रा के माध्यम से जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कुंभ नगरी स्थित अपनी छावनी में विधिवत प्रवेश हो गया। आइए इसी दिव्य मंगल यात्रा के विविध रंग देखते हैं —
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की इस मंगल यात्रा का शुभारंभ कुंभ नगरी हरिद्वार के परशुराम चौक से हुआ।
फूलों से सजे दिव्य रथ में सवार पूज्य शंकराचार्य जी के साथ कई बड़े संत साथ चल रहे थे।
राष्ट्रीयता और सनातन परंपरा से ओत-प्रोत शंकराचार्य जी महाराज की इस पेशवाई में एक ओर जहां हर हर महादेव और जय परशुराम के नारे सुनाई दे रहे थे, वहीं संत और अन्य भक्त देश भक्ति के गानों में नाचते-गाते चल रहे थे।
पेश्वााई में भगवान शिव को अपने गणों के साथ नृत्य करते हुए देख लोग भक्ति में भाव विभोर हो गए और खुद को झूमने को भी झूमने से रोक नहीं पाए।
पेशवाई में विशेष रूप से गंगोत्री और यमुनोत्री की छड़ को भी शामिल किया गया।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की पेशवाई में कई बड़े संतों समेत अग्नि अखाड़े ओर परशुराम अखाड़े से जुड़े प्रतिनिधियों की विशेष उपस्थिति रही।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्रतिनिधि शिष्य एवं वरिष्ठ संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने कहा कि पूज्य शंकराचार्य जी ने 97 वर्ष की अवस्था में भी तीर्थ में अपने स्नान का क्रम नही छोड़ा है। आज जब इस कोरोनाकाल में जब 97 साल की आयु वाले वरिष्ठ संत गंगा स्नान कर सकता है तो फिर हम सब क्यों नहीं कर सकते हैं। इसलिए सभी श्रद्धालुओं को कोविड के सभी नियमों का पालन करते हुए कुंभ नगरी में आकर आस्था की डुबकी लगाने के साथ संतों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
पूज्य शंकराचार्य जी महाराज के निज सचिव स्वामी ब्रम्हाचारी सुबुद्धानंद जी ने कहा कि आज से ढाई हजार साल पहले आदिशंकराचार्य जी ने देश के चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी। जिसमें वर्तमान में परम पूज्य शंकराचार्य जी महाराज उतर में ज्योतिषपीठ और पश्चिम में द्वारका शारदापीठ पर विराजमान हैं। ऐसे में यह अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना है कि कुंभ नगरी में दो पीठों पर विराजमान एक दिव्य संत का मंगल प्रवेश हो रहा है।
शंकराचार्य जी की पेशवाई लोगों के बीच सबसे ज्यादा आकर्षण के केंद्र में रहा स्वर्ण रथ जिसके आगे स्वयं श्री हनुमान जी विराजमान थे और उसके भीतर भगवान शिव और राम का दरबार लगा हुआ था।
पूज्य शंकराचार्य जी की पेशवाई में लोगों ने मां गंगा की झांकी को खूब पसंद किया।
पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का दर्शन और आशीर्वाद पाने के लिए कुंभ नगरी हरिद्वार की सड़कों पर भाड़ी संख्या में लोग इंतजार कर रहे थे।
शंकराचार्य की पेशवाई में श्री परशुराम अखाड़ा भी लोगों के आकर्षण का का केंद्र बना रहा। शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा के लिए समर्प्ति परशुराम अखाड़े से जुड़े लोगों के शक्ति प्रदर्शन को देखकर लोगों ने दातों तले उंगलिया दबा ली।
शंकराचार्य की पेशवाई को ऐतिहासिक बताते हुए श्री परशुराम अखाड़े में राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि शंकराचार्य जी की यह मंगल यात्रा हमारी सनातन परंपरा और हमारी राष्ट्रभक्ति को दर्शाती है। परशुराम अखाड़े को इसी परंपरा के लिए समर्पित बताते हुएकहा कि यदि सनातन परंपरा के प्रचार-प्रसार से लेकर उसकी रक्षा के लिए कोई सनातनी उनके अखाड़े में आकर शस्त्र या शास्त्र की रक्षा करना चाहता है, तो वे उसे निःशुल्क शिक्षा देंगे।