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Swarna Jyoti Mahamotsav : डीएम दीपक रावत समेत सम्मानित हुईं 50 विभूतियां

हरिद्वार में धूमधाम से मनाया गया स्वर्ण ज्योति महामहोत्सव

जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के ज्योतिष पीठ के आचार्य पद पर विराजमान होने के 50 वर्ष पूर्ण होने पर उनके सम्मान में मनाये जा रहे स्वर्ण ज्योति महामहोत्सव का दूसरा भव्य कार्यक्रम देवभूमि स्थित हरि की नगरी यानि हरिद्वार में बड़ी धूम—धाम से मनाया गया।

इस महामहोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड राज्य के ज्योतिर्मठ से हुआ है। विदित हो कि वेदों और वेदोक्त सनातन धर्म की रक्षा के लिये ही आदि शंकराचार्य जी ने भारत की चार दिशाओं में चार मठ स्थापित किये थे। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के मन्त्रों के पारायण से उत्तर दिशा की इसी उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ पर देश के सबसे वरिष्ठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज विराजमान हैं।

50 बड़ी विभूतियों का हुआ सम्मान

स्वर्ण ज्योति महामहोत्सव के अवसर शंकराचार्य जी महाराज के प्रतिनिधि और इस महाआयोजन के प्रमुख स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज को गंगोत्री के शीतकालीन पूजा स्थल मुखवा से आई गंगा स्वर्ण कलश ज्योति सौंपी गई। साथ ही इस अवसर पर हरिद्वार के ​डीएम दीपक रावत समेत शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सेवा, राजनीति, साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली 50 बड़ी विभूतियों को स्वर्ण ज्योति महा सम्मान से सम्मानित किया गया।

कोरोना काल की मजबूरी को ऐसे किया बयां

स्वर्ण ज्योति महामहोत्सव में उत्तराखंड की महान विभूतियों को सम्मानित करते हुए स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी ने कोरोना काल में अपने गुरु को समर्पित इस महाआयोजन को संक्षिप्त रुप में तमाम सरकारी नियमों को अपनाते हुए करने की विवशता को कुछ ऐसे व्यक्त किया—

हर्ष का अतिरेक है, बंधन लगा है छंद का, गीत से कैसे करें, स्वागत स्वरूपानंद का।

तब होगा 2500 लोगों का सम्मान

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी को समर्पित यह महामहोत्सव का कार्यक्रम देश के प्रमुख शहरों में कुल 50 जगह किया जायेगा। इस महामहोत्सव के समापन के समय 2,50,000 श्रद्धालुओं की मौजूदगी में देश की 2500 बड़ी विभूतियों का एक साथ सम्मान किया जाएगा। इस अवसर पर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने शंकराचार्य जी के प्रति अपनी निष्ठा एवं भक्ति को प्रस्तुत करते हुए कहा कि सनातन परंपरा की लहराती धर्म ध्वजा को लेकर जो सपना शंकराचार्य जी ने देखा है, उसे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी बहुत ही तेजी से पूरा करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। जिसके लिए वे उनके साथ बड़े गुरु भाई के रूप में हमेशा साथ बने हुए हैं। 

कुछ ऐसा होगा ‘कुंभ संदेश’

हरिद्वार में शीघ्र ही होने जा रहे कुंभ मेले को लेकर भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार और प्रशासन के सामने अपनी बात रखी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भले ही दुनिया में इसे मेला शब्द के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा हो लेकिन यह मेला नहीं बल्कि पर्व है। साथ ही उन्होंने डीएम दीपक रावत के समक्ष कुंभ के दौरान पूज्य संतों द्वारा हरिद्वार कुंभ में किए जाने वाले चिंतन-मंथन का अमृत तत्व लेकर एक पुस्तक में छापकर लोगों तक पहुंचाने का अनुरोध किया, ताकि कुंभ के बीत जाने के बाद भी उन्हें इस पावन नगरी से मिला सद्ज्ञान याद रहे। पूज्य संतों के संदेश को समाहित करने के अनुपम विचार पर डीएम रावत ने कार्यक्रम के दौरान ही मंच से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि स्वामी श्री के सुझाव को मानते हुए वह कुंभ संदेश नाम की पुस्तक छपवाएंगे, जिसके लिए सबसे पहला संदेश स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी से लिया जायेगा।

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भारतीय संस्कृति में कुंभ मंगल, शुक्ल, सौंदर्य और पूर्णत्व का प्रतीक है। व़ैदिक मंत्रोच्चार के साथ धर्म ध्वजाओं के तले आस्था, विश्वास, समर्पण, और सेवा से सराबोर प्रयागराज महाकुंभ 2025 और सनातन परंपरा से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर को जानने के लिए जुड़ें www.kumbhatv.com से...

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