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ऋषिकेश के परमार्थ आश्रम पहुंचे कैलाश खेर, भोले के भजनों से गुंजायमान हुआ गंगातट

योगनगरी से कुंभनगरी आने के लिए लोगों को दिया न्योता, त्रिवेणी तट पर भी करेंगे शिव और गंगा का गुणगान

ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गायक, कैलाश खेर जी पधारे, जहां पर उनका अभिनंदन ऋषिकुमारों द्वारा शंख ध्वनि व वेदमंत्रों से किया गया। योगनगरी में कैलाश खेर ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के सान्निध्य में विश्व प्रसिद्ध गंगा जी की आरती में भाग लेकर लोगों को साल 2025 में कुंभ नगरी में आने के लिए न्योता भी दिया। पद्मश्री कैलाश खेर जी ने कहा कि महाकुम्भ प्रयागराज में संतों का समागम होगा, संतों का संगम होगा, संतों का अखाड़ा होगा, वहां पर आचार्य आयेंगे, नाथ आयेंगे, सिद्ध आयेंगे। सिद्धि के बिना प्रसिद्धि नहीं होती। सिद्धि के बिना प्रसिद्धि और साधना के बिना साधन आये तो उसका संचालन ठीक से नहीं हो सकता। कुम्भ वह दिव्य अवसर है जो सिद्धि और साधना दोनों का संगम होता है इसलिये आओं कुम्भ चलें।

कैलाश के भजनों पर झूमे भक्तगण

ऋषिकेश के पावन गंगा तट में आरती के दौरान कैलाश खेर जी ने गंगा जी की महिमा में आदियोगी, आदिअनंता, बम लहरी गीत गाकर इस पवित्र स्थल को और भी अलौकिक बना दिया। उन्होंने अपनी संगीतमयी धूनों से आदियोगी, आदिअनंता, और बम लहरी जैसे दिव्य गीतों को गाकर पूरे वातावरण में एक अद्भुत दिव्यता और उल्लास का संचार कर दिया। उनके भकितपूर्ण गीतों पर वहां पर मौजूद सभी भक्तगण झूम उठे।

स्वामी चिदानंद जी ने बताया आरती का सही अर्थ

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आरती, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो न केवल धार्मिक क्रियाओं का हिस्सा है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का एक माध्यम भी है। आरती अर्थात आत्मिक प्रसन्नता और आंतरिक शांति। आरती का शाब्दिक अर्थ ’’आ’’ अर्थात अपने आराध्य के प्रति आस्था और ’’रति’’ अर्थात् आनंद। आरती हमें अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा और प्रेम प्रकट करने का एक माध्यम है, जिससे हमें आंतरिक शांति, सुख, और संतोष की प्राप्ति होती है।

गंगा जी की आरती, विशेष रूप से, एक आध्यात्मिक कड़ी है, जिसके माध्यम से न केवल गंगा जी के पवित्र जल के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं, बल्कि यह जल, पर्यावरण, और समग्र जीवन के प्रति जागरूकता भी बढ़ाती है। जब हम गंगाजी की आरती करते हैं, तो यह हमें प्रकृति के महत्व और उसके संरक्षण की आवश्यकता की याद दिलाती है। आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक भावना है, जो पूरे समाज को एक साथ जोड़ने और जागरूक करने का कार्य करती है।

कैलाश ने भक्तों से की ये बड़ी अपील

प्रसिद्ध आध्यात्मिक गायक पद्मश्री कैलाश खेर जी ने परमार्थ निकेतन से विदा लेते हुये गंगा आरती का प्रशिक्षण ले रहे पंडितों और पुरोहितों से मिलकर उन्हें नदियों को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त रखने का संदेश दिया। गौरतलब है कि परमार्थ निकेतन, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में गंगा जी के प्रति जागरूकता फैलाने, उनकी महिमा को जन-जन तक पहुंचाने और नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के उद्देश्य से परमार्थ निकेतन में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इसका उद्घाटन जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सभी पन्डितों व पुरोहितों ने किया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में गंगा आरती का प्रशिक्षण ले रहे पण्डितों ने वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी कर जल संरक्षण का संकल्प लिया।

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Ashutosh Shukla

भारतीय संस्कृति में कुंभ मंगल, शुक्ल, सौंदर्य और पूर्णत्व का प्रतीक है। व़ैदिक मंत्रोच्चार के साथ धर्म ध्वजाओं के तले आस्था, विश्वास, समर्पण, और सेवा से सराबोर प्रयागराज महाकुंभ 2025 और सनातन परंपरा से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर को जानने के लिए जुड़ें www.kumbhatv.com से...

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