Vat Savitri Vrat 2021: कोरोना काल में कैसे रखें अखंड सौभाग्य दिलाने वाला वट सावित्री व्रत ?
वट वृक्ष की छाँव में ही देवी सावित्री ने यमराज से वापस मांगे थे अपने पति के प्राण

सनातन परंपरा में सुहागिन महिलाएं प्रत्येक वर्ष अखंड सुहाग की कामना से ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) रखती हैं। अपने पति की लंबी उम्र की कामना लिए महिलाएं इस दिन विधि-विधान से व्रत रखते हुए वट वृक्ष के नीचे विशेष रूप से पूजा करती हैं। मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ में भगवान ब्रह्मा, तने में श्री हरि यानि भगवान विष्णु और इस पवित्र वृृक्ष की शाखाओं में भगवान शिव स्वयं विराजमान रहते हैं। इसी दिव्य वृक्ष की छाँव में ही देवी सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगे थे। यही कारण है कि इस दिव्य वृक्ष की पूजा करने से तमाम तरह के कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कब रखा जायेगा वट सावित्री व्रत
पति की लंबी उम्र पाने की कामना को पूरा करने और दु:खों को दूर करने वाला वट सावित्री (Vat Savitri Vrat 2021) इस साल 10 जून 2021 यानि गुरुवार को को रखा जायेगा। महिलाएं इस महाव्रतको रखेंगी और इसी दिन वट का पूजन करते हुए बरगद के पेड़ की परिक्रमा करेंगे। इसके बाद अगले दिन 11 जून 2021 शुक्रवार को पारण करेंगी।
सूर्य ग्रहण का नहीं पड़ेगा कोई असर
10 जून 2021 यानि वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) वाले दिन ही साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2021) भी लगने जा रहा है लेकिन यह ग्रहण भारत में कही भी नजर नहीं आयेगा और न ही इसका यहां पर किसी तरह का प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में महिलाएं इस महाव्रत को निर्विघ्न रूप से कर सकेंगी।
वट पूजा की विधि (Worship method of Banyan tree)
वट सावित्री व्रत वाले दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के पश्चात् शुद्ध मन से इस महाव्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके प्रश्चात् लाल वस्त्र,सिन्दूर,पुष्प,अक्षत,रोली,मोली,भीगे चने,फल, दूध, धूप, दीप और मिठाई आदि लेकर वट वृक्ष का पूजन करना चाहिए। वट पूजन में भीगे हुए चनों का अधिक महत्व है क्योंकि यमराज ने चने के रूप में ही सावित्री को उसके पति के प्राण वापस किये थे। वट पूजन प्रक्रिया में सबसे पहले कच्चे दूध और जल से बरगद के पेड़ की जड़ों को सींचना चाहिए। इसके बाद वट वृक्ष के तने में अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए सात बार कच्चा सूत अथवा मोली लपेटना चाहिए। इसके बाद बरगद के पेड़ की छांव तले भक्ति-भाव से सत्यवान-सावित्री की कथा कहें अथवा उसका श्रवण करें। पूजा के पश्चात् अपने से बड़ी सुहागिन महिला के पैर छूकर आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए।
Note : कोरोना काल में इस महाव्रत को रखते हुए अपनी इम्युनिटी को बनाए रखने के लिए यदि आप चाहे तों दिन में नींबू का शर्बत एवं रसीले फल का सेवन कर सकते हैं।